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ओ॒मान॑मापो मानुषी॒रमृ॑क्तं॒ धात॑ तो॒काय॒ तन॑याय॒ शं योः। यू॒यं हि ष्ठा भि॒षजो॑ मा॒तृत॑मा॒ विश्व॑स्य स्था॒तुर्जग॑तो॒ जनि॑त्रीः ॥७॥

English Transliteration

omānam āpo mānuṣīr amṛktaṁ dhāta tokāya tanayāya śaṁ yoḥ | yūyaṁ hi ṣṭhā bhiṣajo mātṛtamā viśvasya sthātur jagato janitrīḥ ||

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Pad Path

ओ॒मान॑म्। आपः। मा॒नु॒षीः॒। अमृ॑क्तम्। धात॑। तो॒काय॑। तन॑याय। शम्। योः। यू॒यम्। हि। स्थ। भि॒षजः॑। मा॒तृऽत॑माः। विश्व॑स्य। स्था॒तुः। जग॑तः। जनि॑त्रीः ॥७॥

Rigveda » Mandal:6» Sukta:50» Mantra:7 | Ashtak:4» Adhyay:8» Varga:9» Mantra:2 | Mandal:6» Anuvak:5» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर विद्वान् जन क्या करें, इस विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (मातृतमाः) अतीव माता के समान कृपालु तथा (जनित्रीः) उत्पन्न करनेवाली (तोकाय) थोड़ी आयुवाले सन्तान वा (तनयाय) सुन्दर कुमार सन्तान के लिये (शम्) सुख करती हैं, वैसे (यूयम्) तुम (आपः) जलों के समान (अमृक्तम्) अशुद्ध जन को वा (ओमानम्) रक्षा आदि करनेवाले को और (मानुषीः) मनुष्य सम्बन्धी प्रजाओं को (धात) धारण करो तथा (स्थातुः) स्थावर वा (जगतः) जङ्गम (विश्वस्य) संसार के (हि) जिस कारण तुम (भिषजः) वैद्य (स्था) हो, वा जैसे न्यायाधीश सबको सुख (योः) पहुँचाता है, वैसे यहाँ वर्त्तो ॥७॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे अध्यापक और उपदेशको ! तुम अपवित्र जन को सत्य ग्रहण कराकर शुद्ध करो तथा सब जगत् की रक्षा करने के निमित्त अविद्यारूपी रोग के निवारण करनेवाले होते हुए सब को माता के तुल्य पालो ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनर्विद्वांसः किं कुर्युरित्याह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यथा मातृतमा जनित्रीस्तोकाय तनयाय शं कुर्वन्ति तथा यूयमाप इवाऽमृक्तमोमानं मानुषीः प्रजा धात स्थातुर्जगतो विश्वस्य हि यूयं भिषजः स्था यथा न्यायेशः सर्वान् सुखं योः प्रापयति तथैवाऽत्र वर्त्तध्वम् ॥७॥

Word-Meaning: - (ओमानम्) रक्षादिकर्त्तारम् (आपः) जलानीव (मानुषीः) मनुष्यसम्बन्धिनीः प्रजाः (अमृक्तम्) अशुद्धं जनम् (धात) धरत (तोकाय) अल्पवयसे (तनयाय) सुकुमाराय सन्तानाय (शम्) सुखम् (योः) प्रापयति (यूयम्) (हि) यतः (स्था) भवत। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (भिषजः) सद्वैद्याः (मातृतमाः) अतिशयेन मातृवत् कृपालवः (विश्वस्य) संसारस्य (स्थातुः) स्थावरस्य (जगतः) जङ्गमस्य (जनित्रीः) जनन्यः ॥७॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे अध्यापकोपदेशका यूयमशुद्धं जनं सत्यं ग्राहयित्वा शुद्धं सम्पादयत सर्वस्य जगतो रक्षणेऽविद्यारोगनिवारकः सन्तः सर्वान् मातृवत् पालयत ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे अध्यापक व उपदेशकांनो! तुम्ही अपवित्र लोकांना सत्य ग्रहण करायला लावून त्यांना पवित्र करा व सर्व जगाचे रक्षण करण्यासाठी अविद्या रोगनिवारक बनून सर्वांचे मातेप्रमाणे पालन करा. ॥ ७ ॥